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Monday, December 24, 2018
6:53 PM
सामान्य भौगोलिक दृष्टि से भारत के बंदरगाह
पश्चिमी तट के प्रमुख बंदरगाह: कांडला (गुजरात), मुंबई (महाराष्ट्र), मर्मगाव (गोआ), न्यू मंगलौर (कर्नाटक), कोच्चि (केरल), जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (पूर्व में न्हावा शेवा)।
पूर्वी तट के प्रमुख बंदरगाह: तूतीकोरिन एवं चेन्नई (तमिलनाडु), विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश), पारादीप (ओडीशा), कोलकाता-हल्दिया (प. बंगाल)। तमिलनाडु में एन्नोर बंदरगाह को भी मई 1999 में प्रमुख बंदरगाह का दर्जा दिया गया, जबकि बड़े बंदरगाह के रूप में फरवरी 2001 से काम में लाया गया।
इसके अतिरिक्त भारतीय बंदरगाहों को 1. प्राकृतिक पोताश्रय और 2. कृत्रिम पोताश्रय में विभाजित किया जा सकता है|
मुंबई एक प्राकृतिक पोताश्रय है। व्यापक पृष्ठ प्रदेश सहित, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर-प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं, यह बन्दरगाहों के कुल यातायात का पांचवां भाग संभालता है जिसमें अधिकांशतः पेट्रोलियम उत्पाद एवं शुष्क नौ-भार (कागों) शामिल हैं।
भारत के 13 बड़े बंदरगाह:
भारत के 13 वह बंदरगाह जो मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के अंतर्गत शामिल किये गए हैं उन्हें महापोताश्रय (Major Ports) यानि बड़े बंदरगाह कहते हैं | पाकिस्तान और बांग्लादेश के बनाने के बाद कराची और चटगांव बंदरगाहों के भारत से निकल जाने के कारण इसके विकल्प में हमें कांधला और हल्दिया को विकल्प के रूप में विकसित करना पड़ा |
1. जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (JLPT) को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। यहां भारी मात्रा में आने-जाने वाले नौ-भार (कागों) को ध्यान में रखकर यांत्रिक कंटेनर बर्थ एवं सर्विस बर्थ की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।
2. मुंबई पोर्ट(Mumbai Port) मुंबई पोर्ट ट्रस्ट एक बंदरगाह है जो भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है, मुंबई, महाराष्ट्र के प्राकृतिक गहरे पानी का बंदरगाह है। 400 वर्ग किलोमीटर (150 वर्ग मील) से अधिक में इसका प्रसार है | पोर्ट मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (एमबीपीटी), एक स्वायत्त निगम है जो पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है। बंदरगाह मुख्य रूप से, बल्क कार्गो के लिए प्रयोग किया जाता है, जबकि कंटेनर यातायात के लिए JLPT बंदरगाह प्रयोग किया जाता है।
3. कांधला (Kandla Port) कच्छ खाड़ी के सिरे पर स्थित ज्वारीय बंदरगाह है। गुजरात के अलावा पृष्ठ प्रदेश सहित इसमें राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। महत्वपूर्ण यातायात की वस्तुओं में खाद्य तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्यान्न, नमक, कपड़ा, कच्चा तेल इत्यादि शामिल हैं।
4. मर्मगाव (Mormugao Port) गोवा में अरब सागर तट पर जुआरी नदी के तट पर स्थित है। यह बंदरगाह लौह-अयस्क निर्यात के लिए मुख्य है। इससे मैंगनीज, सीमेंट, अपशिष्ट, उर्वरक और मशीन आयात की जाती है।
5. न्यू मंगलौर (New Mangalore Port) मुंबई तक राष्ट्रीय राजमार्ग 17 (एनएच-17) और रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां से लौह-अयस्क (कुद्रेमुख से प्राप्त) का निर्यात किया जाता है। पेट्रोलियम उत्पाद, उर्वरक और शीरा का आयात किया जाता है।
6. कोच्चि (Cochin Port) एक प्राकृतिक पोताश्रय है, जहां से उर्वरक, पेट्रोलियम उत्पाद एवं सामान्य नौ-भार (कागों) का परिवहन होता है। स्वेज-कोलंबो मार्ग बंद हो जाने से इस बंदरगाह का सामरिक और व्यापारिक महत्व बढ़ गया है। न्यू तूतीकोरिन गहरा कृत्रिम (समुद्री) पोताश्रय है। समृद्ध पृष्ठ प्रदेश के साथरेल और सड़क मार्ग (एनएच 7A) से भलीभांति जुड़ा हुआ है, यहां से मुख्यतः कोयला, नमक, खाद्य तेल, शुष्क और नौ-भार एवं पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया जाता है।
7. चेन्नई(Chennai Port) एक कृत्रिम पोताश्रय है, यहां से काफी मात्रा में परिवहन का आवागमन होता है। पेट्रोलियम उत्पाद, कच्चा तेल, उर्वरक, लौह अयस्क और शुष्क नौ-भार (कागों) इत्यादि प्रमुख मद हैं।
8. विशाखापट्टनम(Vishakhapatnam Port) सबसे गहरा और प्राकृतिक बंदरगाह है। लौह-अयस्क के निर्यात हेतु यहां एक बाहरी पोताश्रय का विकास किया गया है। साथ ही कच्वे तेल के लिए भी एक बर्थ यहां स्थापित है। इसके सुविस्तृत पृष्ठ प्रदेश हैं-आंध्र प्रदेश के अलावा, ओडीशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़।
9. कोलकाता-हल्दिया(Kolkata-Haldia Port) हुगली नदी पर एक नदी मुख बंदरगाह है। इसके सुविस्तृत क्षेत्र में छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड, ओडीशा, पूर्वोत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। यहां से अस्थि और अस्थिपूर्ण से बनी कई प्रकार की वस्तु प्रवाह, जूट उत्पाद, अभ्रक तथा मशीनों के कचरे का व्यापार होता है।
10. पारादीप(Paradip Port) गहरा तथा लैगून सदृश बंदरगाह है। यहां से लौह अयस्क, कपास, मैंगनीज और लौहा एवं इस्पात का निर्यात किया जाता है। जबकि पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्य तेल और मशीनों का आयात किया जाता है।
11. एन्नौर(Ennore Port) पतन देश में प्रथम निगमित पत्तन है जो चेन्नई से लगभग 20 किमी. दूर एन्नौर में स्थित है। इसे 1993 में चेन्नई पत्तन में भौतिक विस्तार की बाधाओं को दूर करने के उपाय के तौर पर अपनाया गया। यह एक प्राकृतिक पोताश्रय है और प्रारंभ में थर्मल कोयला, रसायनों, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी), और पेट्रोलियम उत्पादों का संचालन करने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया। एन्नौर पोर्ट लिमिटेड, जिसे केंद्र और चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट द्वारा प्रोत्साहित किया गया, को सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा प्रबंध किया जाएगा। यह अन्य बड़े पत्तनों की तरह, मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट के तहत् कार्य नहीं करेगा। यह क्षेत्रीय पत्तन के तौर पर कार्य करेगा जो कार्गो संचालन में संलिप्त नहीं होगा।
12. वीओ चिदम्बरनार तूतीकोरिन पोर्ट (V.O.Chidambaranar Tuticorin port) वीओ चिदम्बरनार पोर्ट, पूर्व में तूतीकोरिन पोर्ट, भारत में प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। इसे 11 जुलाई 1974 के एक प्रमुख बंदरगाह घोषित किया गया था | यह तमिलनाडु की दूसरी और देश की चौथी सबसे बड़ा बंदरगाह है| सेतुसमुद्रम जहाजरानी नहर परियोजना के बाद VOC पोर्ट कंटेनर टर्मिनल भारत के प्रमुख बंदरगाह होने के साथ सिंगापुर के पोर्ट के बराबर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा पोर्ट बन जायेगा। V.O.Chidambaram पोर्ट एक कृत्रिम बंदरगाह है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूरोप, श्रीलंका और भूमध्य सागर के देशों के लिए सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।
13. पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह(Port Blair Port) समिति के संयुक्त सचिव (बंदरगाह), जहाजरानी मंत्रालय, और अध्यक्ष, तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट की अध्यक्षता में एक आधिकारिक बयान में कहा गया है की 1 जून, 2010 से मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के सभी नियम कानून पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह के लिए लागू हो गए हैं, इस तरह पोर्ट ब्लेयर देश का 13 वां प्रमुख बंदरगाह बन जाता है। आधिकारिक बयान में कहा गया है की पोर्ट ब्लेयर के पूर्वी द्वीप पोर्ट, डिगलीपुर पोर्ट (बंदरगाह Cornwalis), मायाबंदर पोर्ट, Elphinston हार्बर, रंगत पोर्ट, हैवलॉक पोर्ट और नील द्वीप पोर्ट सहित 23 बंदरगाहों को इसके नियंत्रण में रखा जायेगा ।
लधु एवं मध्यवर्ती बंदरगाह: उपरोक्त के अतिरिक्त देश में कुल 200 छोटे बंदरगाह है, जिनमें रेडीपोर्ट (महाराष्ट्र) काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) तथा कोझीकोड (केरल) आदि शामिल हैं। इसमें लगभग 20-30 निजी कंपनियों के द्वारा संचालित किये जाने वाले बंदरगाह भी शामिल हैं | यह बंदरगाह बड़े बंदरगाहों के अतिभार को कम करने में सहायक होते हैं तथा इन्हें गहन समुद्री मत्स्यन हेतु आघार वर्षों के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। ये बंदरगाह मुख्यतः तटीय व्यापार हेतु सुविधा प्रदान करते हैं तथा रेल मार्ग या सड़कों के अभाव वाले क्षेत्रों में यात्री परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
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