भारत की खनिज नीति

राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति



29 जून, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति’ (NMEP) को स्वीकृति प्रदान की गई। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है-निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर देश में अन्वेषण गतिविधियों को तेज करना। खनिजों की पूर्ण क्षमता हेतु देश में व्यापक खनिज अन्वेषण की जरूरत है जिससे राष्ट्र के खनिज संसाधनों (गैर-ईंधन, गैर-कोयला) का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल हो सके और भारतीय अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र के अंशदान को बढ़ाया जा सके। यह नीति वैश्विक मानकों के अनुरूप बेसलाइन भू-वैज्ञानिक आंकड़ों को सार्वजनिक करने, सार्वजनिक-निजी साझेदारी में गुणवत्तापूर्वक अनुसंधान, गहरे और छिपे हुए भंडारों की खोज के लिए विशेष पहल, देश के त्वरित हवाई भू-भौतिकीय सर्वेक्षण और एक समर्थित भू-विज्ञान डाटाबेस आदि के सृजन पर जोर देती है।


राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति में देश में अन्वेषण को आसान बनाने के लिए निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं निहित हैं-

खनन मंत्रालय चिह्नित खनिज ब्लॉकों की निजी क्षेत्र में नीलामी कराएगा।

यह नीलामी राजस्व साझेदारी आधार पर होगी।

नीलाम ब्लॉकों से आने वाला राजस्व सफल बोली दाता को मिलेगा।

उत्खनन एजेंसियों द्वारा नीलाम योग्य संसाधनों की खोज नहीं कर पाने पर, उत्खनन व्यय की प्रतिपूर्ति मानकीय लागत आधार पर की जाएगी।

बेसलाइन भू-वैज्ञानिक डाटा का निर्माण सार्वजनिक वस्तु के तौर पर किया जाएगा। जिसे बिना किसी शुल्क भुगतान के देखा जा सकेगा।

सरकार लक्षित खनिज भंडारों के स्टेट ऑफ द-आर्ट बेसलाइन डाटा को प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय हवाई भू-भौतिक कार्यक्रम चलाएगी।

एक नेशनल जिओसाइंटिफिक डाटा डिपॉजिटरी (NGDD)की स्थापना का प्रस्ताव है।

एनजीडीडी केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों व खनिज रियायत धारकों (Concession Holders) से मिलने वाली बेसलाइन भू-वैज्ञानिक डाटा और खनिज उत्खनन से जुड़ी जानकारियों की तुलना करेगी और इनका भू-स्थानिक डाटाबेस (Jiospetial Database) पर इनका रख-रखाव करेगी।

सरकार का वैज्ञानिक, अनुसंधान संस्थाओं, विश्वविद्यालयों तथा उद्योग की भागीदारी से देश में खनिज उत्खनन की चुनौतियों के समाधान तथा वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के लिए एक स्वायत्त गैर-लाभकारी संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव है।

यह संस्थान ‘नेशनल सेंटर फॉर मिनरल टारगेटिंग’ (NCMT) के नाम से जाना जाएगा।

आकर्षक राजस्व साझेदारी मॉडल के माध्यम से उत्खनन में निजी निवेश को आमंत्रित करने के लिए प्रावधान।

ऑस्ट्रेलिया की ‘अनकवर’ (UNCOVER) परियोजना के तर्ज पर सरकार की ‘नेशनल जिओफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (NGRI) और प्रस्तावित एनसीएमटी (NCMT) तथा जिओसाइंस ऑस्ट्रेलिया के साथ भागीदारी के माध्यम से देश में गहरे और छिपे हुए खनिज भंडारों की खोज की एक विशेष पहल शुरू करने की योजना है।

‘राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति’ की सिफारिशों को लागू करने के क्रम में 5 वर्ष के दौरान शुरुआती तौर पर लगभग 2,116 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।

राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति के प्रभाव निम्नलिखित हैं-

सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए एक पूर्व प्रतिस्पर्धी बेसलाइन जिओ-भू-वैज्ञानिक डाटा तैयार किया जाएगा। जिओ-भू-वैज्ञानिक डाटा बिना शुल्क प्रयोग के लिए उपलब्ध होगा जिससे निजी और सरकारी उत्खनन एजेंसियों को लाभ होने का अनुमान है।

सार्वजनिक और निजी साझेदारी में उत्खनन के लिए वैज्ञानिक और तकनीक विकास को आवश्यक बनाने के लिए वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और उद्योग के साथ भागीदारी।

देश में गहरे और छिपे हुए खनिज भंडारों की खोज के लिए एक विशेष योजना जिसमें भारत के भूगर्भीय क्षेत्र, भारत के भूमंडलीय क्षेत्र की जांच, 4डी जिओ डायनैमिक और मेटालॉजेनिक इवैल्यूशन आदि शामिल हैं।

पूरे देश का मानचित्रीकरण के लिए एक राष्ट्रीय हवाई भू-भौतिक मानचित्रीकरण कार्यक्रम पेश किया जाएगा।

इस मानचित्रीकरण से गहरे और छिपे हुए खनिज भंडारों की पहचान की जा सकेगी।

सरकार चिह्नित ब्लॉक/क्षेत्रों में उत्खनन के लिए निजी एजेंसियों को जोड़ेगी।

क्षेत्रीय और विस्तृत उत्खनन पर सार्वजनिक व्यय की प्राथमिकता तय की जाएगी तथा निर्णायक मोड़ और सामरिक हितों के आधार पर समय-समय पर समीक्षा की जाएगी।

केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय खनिज उत्खनन नीति की मंजूरी के बाद प्रथम ‘खान और खनिज सम्मेलन’ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 4-5 जुलाई, 2016 के मध्य आयोजित किया गया।

इस सम्मेलन में वित्त मंत्री अरुण जेटली के द्वारा ‘प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना’ (PMKKY) के तहत पांच परियोजनाओं की शुरुआत की गई।

इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान गणमान्य व्यक्तियों द्वारा खनन क्षेत्र में कई पहल की शुरुआत की गई, जिनमें खनन की क्षेत्र में कई पहल की शुरुआत की गई, जिनमें खनन की पायलट परियोजनाओं की स्टारेटिंग, खान मंत्रालय की कौशल योजना, राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति और परमाण्विक खनिज नियम की घोषणा शामिल है।



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